

बदल के भीगे नयन
खेत खलिहान देख मुसकाय
हरित नृत्य करें वृक्षें
कुमुद कमल खिल खिल जाये

इन ghataon से टपकते ठन्डे पानी में भीग जाऊं
या तुम्हारे कोमल स्पर्श को महसूस करून

इन पहाड़ों से उतारते टेढ़े मेढ़े रास्तों पर चलूँ
या तुम्हे अपने बाँहों में liye इन वादियों में खो jaoon



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